ग्रामीण बैंकों को मांग के अनुसार अपने उत्पादों और सेवाओं को उन्नत करना चाहिए
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर । केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कर्नाटक के बेल्लारी में कर्नाटक ग्रामीण बैंक (केएजीबी) के व्यावसायिक प्रदर्शन की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने केएजीबी को अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए जमीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की सलाह दी। सीतारमण ने सभी हितधारकों को क्षेत्र में संबद्ध कृषि गतिविधियों की क्षमता का दोहन करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया।
डीएफएस सचिव एम नागराजू, नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी, केनरा बैंक के कार्यकारी निदेशक और वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में वित्त मंत्री ने समीक्षा के दौरान ऋण वितरण वृद्धि, एनपीए, वित्तीय समावेशन के तहत प्रदर्शन और केएजीबी की सरकार की प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन सहित प्रमुख संकेतकों का मूल्यांकन किया। केएजीबी और केनरा बैंक को विशेष रूप से एमएसएमई और संबद्ध क्षेत्र को ऋण वितरण बढ़ाने के लिए राज्य सरकार के विभागों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया गया।
सीतारमण ने ग्रामीण बैंकों से आग्रह किया कि वे अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाएं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ एफपीओ की पूंजीगत ज़रूरतें विकास वित्तीय संस्थानों और सरकारी विभागों द्वारा पूरी की जाती हैं। कार्यशील पूंजी की ज़रूरतें बैंकों द्वारा पूरी की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण बैंकों को किसान उत्पादक संगठनों की सुविधा और मांग के अनुसार अपने उत्पादों और सेवाओं को उन्नत करना चाहिए। इससे बैंक और एफपीओ, पारस्परिक लाभ और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सतत विकास के लिए अपने संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे।
सीतारमण ने यह भी कहा कि कई कंपनियां डेटा सेंटर जैसी अपनी सेवाएं टियर-1 से टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थानांतरित कर रही हैं। ग्रामीण बैंक अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए ऐसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि केएजीबी अपने व्यावसायिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगा ताकि बैंक को लाभदायक बनाया जा सके और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों से जुड़ी चुनौतियों से निपटा जा सके। उन्होंने केएजीबी से आग्रह किया कि वह कर्नाटक क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाए और जहां भी बैंकिंग आउटलेट्स की उपलब्धता अपर्याप्त है, वहां नई शाखाएं खोले। केएजीबी को परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार, नई तकनीक अपनाने और ग्राहक सेवा वितरण को मजबूत करके परिचालन दक्षता बढ़ाने की भी सलाह दी गई।
इसके अलावा डीएफएस सचिव एम. नागराजू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विलय के बाद प्रणालियों और प्रक्रियाओं का एकीकरण पूरा हो गया है और उन्होंने ग्रामीण बैंक की दीर्घकालिक स्थिरता और व्यवहार्यता के लिए केएजीबी की मध्यम अवधि की व्यावसायिक योजना और प्रायोजक बैंक द्वारा इसकी समीक्षा पर जोर दिया। नागराजू ने क्षेत्र में कृषि प्रसंस्करण और एमएसएमई की संभावनाओं का उल्लेख किया और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में किसानों के मूल्य सृजन हेतु नाबार्ड के साथ साझेदारी करने के लिए केएजीबी से आग्रह किया।
उन्होंने अटल पेंशन योजना में उल्लेखनीय प्रगति के लिए केएजीबी की सराहना की और पीएमजेजेबीवाई, पीएमएसबीवाई और पीएमजेडीवाई जैसी अन्य वित्तीय समावेशन योजनाओं के तहत अपने प्रदर्शन में सुधार करने का सुझाव दिया। उन्होंने उन क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करके सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ साझेदारी करने के लिए एक भविष्य की रूपरेखा भी सुझाई जो अभी तक सेवा से वंचित/अल्पसुविधा प्राप्त हैं। उन्होंने विलय के बाद कर्मचारियों के एकीकरण और कौशल उन्नयन की आवश्यकता पर बल दिया।