समाज का प्रतिनिधित्व करती बुजुर्गों के हित में समर्पित अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस

Posted on: 2024-10-01


जिस प्रकार एक सम्पूर्ण  पेड़ के विकाश में जड़ का विशेष महत्त्व होता है | जड़ से ही तना, डाली और पत्तियां  लहराकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करती है | उसी प्रकार बुजुर्ग या परिवार का मुखिया वह जड़ है जिनके छत्रछाव में पूरा परिवार बढ़ता है प्रफुल्ल्ति होता है | वृद्धजनों के लिए प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष 1 अक्टूबर कोअंतर्राष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस मनाया जाता है |

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने भारत में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देने में निरंतर रूप से अग्रणी भूमिका निभाई है

इसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और जनता, नागरिक समाज एवं अन्य सरकारी निकायों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य अंतर-पीढ़ीगत बंधन के महत्व पर जोर देने के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के अमूल्य योगदान को पहचानना और उनके कल्याण के संदर्भ में जागरूकता बढ़ाना भी है।

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन  दिवस 2024 का विषय है “सम्मान के साथ वृद्धावस्था: दुनिया भर में वृद्ध व्यक्तियों के लिए देखभाल और सहायता प्रणालियों को मजबूत करने का महत्व। 

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस का इतिहास: भारत मैड्रिड, स्पेन में आयोजित द्वितीय संयुक्त राष्ट्र महासभा की राजनीतिक घोषणा और मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन ऑन एजिंग (2002) का हस्ताक्षरकर्ता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 अक्टूबर 1990 के दिन 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस के रूप में नामित किया था। महासभा ने 1982 की अंतरराष्ट्रीय वृद्धावस्था कार्य योजना के आधार पर वृद्ध व्यक्तियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को अपनाया। इसमें चार सिद्धांत- स्वतंत्रता, भागीदारी, देखभाल, आत्म-पूर्ति और गरिमा शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के दशक 2021-30 को स्वस्थ वृद्धावस्था का दशक भी घोषित किया गया है और इसे बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण के एसडीजी (3) लक्ष्य के साथ संरेखित किया गया है।

भारत ने मैड्रिड योजना से काफी पहले 1999 में राष्ट्रीय वृद्धजन नीति (एनपीओपी) तैयार की थी।केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार एक अक्टूबर को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस-2024 समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता करेंगे। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा मुख्य अतिथि होंगे।

भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नीति

यह नीति वरिष्ठ नागरिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आश्रय और आय सृजन के अवसर प्रदान करने पर केंद्रित है। यह बुजुर्गों की सहायता करने में परिवार की देखभाल और समुदाय की भागीदारी के महत्व पर भी जोर देती है।

भारत में वृद्ध व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने और उन्हें पर्याप्त सहायता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई योजनाएँ हैं। भारत में वृद्ध व्यक्तियों से संबंधित कुछ प्रमुख योजनाएँ इस प्रकार हैं:

वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (एनपीओपी), 1999 :- इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय और कल्याण के लिए राज्य सहायता प्रदान करना है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS):-  गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले बुजुर्ग नागरिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

राष्ट्रीय वयोश्री योजना (आरवीवाई):- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक सहायता और सहायक उपकरण वितरित करता है।

प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई):- वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक पेंशन योजना जो 10 वर्ष की परिपक्वता अवधि के साथ उनके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करती है।

वृद्धजनों के लिए एकीकृत कार्यक्रम (आईपीओपी):- वरिष्ठ नागरिकों के लिए गृह, डेकेयर सेंटर और मोबाइल स्वास्थ्य देखभाल इकाइयां चलाने के लिए गैर सरकारी संगठनों को अनुदान प्रदान करता है।

वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना:- वरिष्ठ नागरिकों के लिए खरीद मूल्य पर गारंटीकृत रिटर्न के आधार पर सुनिश्चित पेंशन प्रदान करता है।

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस):- नियमित ब्याज भुगतान वाली सरकार समर्थित बचत योजना, जो विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनाई गई है।

संशोधित नीति में वित्तीय सुरक्षा में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और समाज में वृद्ध व्यक्तियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के उपाय करने का आह्वान किया गया है। यह समावेशी नीतियों के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों की भलाई को बढ़ावा देती है जो उनकी गरिमा और अधिकारों की रक्षा करती हैं।